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उद्देश्य

प्रदेश में बालिकाओं / महिलाओं को आत्मरक्षा हेतु विशेष प्राशिक्षण देना |

योजना का संक्षिप्त विवरण

किसी भी पुरुष प्रधान समाज में बालिकाओं / महिलाओं के विरुध्द हिंसा एक गंभीर समस्या है | इसके मूल में अनेक कारण हैं जिनमें से एक बड़ा कारण है ‘बालिकाओं/महिलाओं में आत्मरक्षा संबंधी जानकारियों का आभाव’| आत्मरक्षा हेतु मानसिक-शारीरिक एवं भावनात्मक प्रशिक्षण देकर न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा सकता है बल्कि उनके अंतर्मन में सदियों से बसी ‘अबला छवि’ को भी मिटाया जा सकता है | प्रदेश में महिलाओं के विरुध्द हो रहे दुर्व्यवहार-अत्याचार इत्यादि के प्रति संवेदनशील मध्यप्रदेश शासन पूरी तरह सचेत एवं सक्रिय है और इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश की बालिकाओं/महिलाओं को एक विशेष प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की गई है | जिसका नाम है ‘वीरांगना योजना’ | इस योजना के अंतर्गत प्रदेश की बालिकाओं/महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण द्वारा शारीरिक-मानसिक एवं भावनात्मक रूप से सशक्त बनाया जायेगा| इसमें 10 वर्ष से अधिक आयु की सभी वर्ग की बालिकाओं/ महिलाओं को घर कार्यस्थल, शैक्षणिक संस्थाओं, सार्वजानिक स्थलों इत्यादि पर किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए उच्च प्रशिक्षण प्राप्त प्रिशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा | यह प्रशिक्षण एक बहुआयामी प्रशिक्षण होगा जिसमे सामान्य रूप से सदैव उपलब्ध वस्तुओं का आत्म रक्षा के लिए उपयोग करना, शारीरिक-मानसिक आत्मरक्षा तकनीकों का उपयोग करना,धमकी की स्थिति में अपना बचाव करना, आत्मरक्षा से संबंधित मनोवैज्ञानिक-मानसिक एवं कानूनी मुद्दों पर विचार-विमर्श करना, स्वयं की शक्ति को पहचानना, शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति अथवा समूह के आक्रमण को विफल करना इत्यादि का समावेश किया जायेगा | शारीरिक प्रशिक्षण का प्रारूप मार्शल आर्ट,जुडो-कराते,ताईक्वान्डो, कुश्ती इत्यादि खेलों में उपयोग की जाने वाली तकनीकों को समाहित करते हुए तैयार किया गया है | मानसिक-मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञों द्वारा सेमिनार आयोजित किये जायेंगे एवं एसी सच्ची घटनाओं की विडियो क्लिपिंग दिखाई जायेंगी (या उध्दरण दिए जायेंगे) जिसमें किसी बालिका/महिला ने विषम परिस्थितियों में साहस का परिचय देते हुए अपनी आत्मरक्षा की हो| वीरांगना योजना के अंतर्गत होने वाले प्रशिक्षण के 40-सेशन होंगे| प्रत्येक प्रशिक्षण शिविर में 50-बालिकाओं/महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जावेगा| प्रशिक्षण में भाग लेने हेतु न्यूनतम आयु 10 वर्ष निर्धारित की गई है | अधिकतम आयु को कोई बंधन नहीं है | शारीरिक रूप से अक्षम (विकलांग) बालिकाएं/महिलायें भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगी | प्रशिक्षण शिविर,विभाग के पास उपलब्ध अधोसंरचना शासकीय, अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं, सामाजिक संस्थाओं एवं अन्य सहयोग प्राप्त कर, आयोजित शिविरों के प्रशिक्षक/सहायक प्रशिक्षक व मनोवैज्ञानिक/विषय विशेषज्ञ को मानदेय का भुगतान विभाग द्वारा आयोजित आयोजित किये जाने वाले शिविरों के लिये निर्धारित मानदेय अनुसार ही किया जावेगा| शिविर का आयोजन लघु हॉल अथवा बड़े कमरे में प्रशिक्षण शिविर हेतु आवश्यक मेट्स,उपकरण आदि की व्यवस्था प्रावधानित राशी से की जावेगी|

लक्ष्य

समस्त वर्ग की 10-वर्ष से अधिक आयु की बालिकाओं व महिलाओं (शारीरिक रूप से अक्षम/ विकलांग महिलाओं सहित) को समूह में साधारण, प्रभावशाली, शारीरिक आत्मरक्षा की तकनीकी का प्रशिक्षण प्रदान करना तथा विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम बनाना |

प्रशिक्षण हेतु शारीरिक मापदण्ड

प्रशिक्षण के लिए बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए कोई शारीरिक मापदण्ड निर्धरित नहीं किये गए है | 10 वर्ष से अधिक आयु की बालिका/ महिला यह प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती है |

प्रशिक्षण हेतु पोषक /ड्रेस

प्रशिक्षण शिविर के लिए कोई विशेष पोषाक /ड्रेस निर्धारित नहीं है | दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली कोई भी सामान्य पोषाक में प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है |

प्रशिक्षक

मार्शल आर्ट के तहत संबंधति खेल के एन.आई.एस. प्रशिक्षक, अंतर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय स्तर के खिलाडी एवं शारीरिक शिक्षा के स्नातकोत्तर/स्नातक डिग्री धारक रहेंगे | शारीरिक प्रशिक्षण में मार्शल आर्ट खेल के उत्कृष्ट खिलाडी/प्रशिक्षक की सेवायें ली जावेगी|

मनोवैज्ञानिक / विषय विशेषज्ञ

मनोवैज्ञानिक डिग्री धारक अथवा विषय विशेषज्ञ के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, उच्च शिक्षा, शालेय शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, स्वयंसेवी संगठनों के अधिकारी की सेवायें मनोवैज्ञानिक/विषय विशेषज्ञ के रूप में ली जावेंगी|

केस स्टडी

सच्ची घटनाओं का अनुकरण कर (डर्लीश्ररींश) उनसे बचाव के तरीके सिखाये जायेंगे तथा प्रत्येक घटना को टालने के उपायों पर विचार विमर्श किया जायेगा|

प्रबंधन व पर्यवेक्षण

जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी द्वारा शिविरों का आयोजन किया जावेगा तथा आवश्यकतानुसार मुख्यालय स्तर से समय-समय पर पर्यवेक्षण भी किया जावेगा|

प्रशिक्षण अवधि

प्रशिक्षण के 40-सेशन होंगे,प्रत्येक सेशन प्रतिदिवस 2-घंटे का रहेगा | शिविर में आत्मरक्षा की तकनीक के प्रशिक्षण के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक व विषय विशेषज्ञों काउंसलिंग व सेमीनार भी आयोजित किये जावेगें|

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